प्रशासन की निष्पक्षता और पारदर्शिता: अनदेखे फायदे और उन्हें पाने के आसान तरीके

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नमस्ते मेरे प्यारे पाठकों! आज हम एक बेहद महत्वपूर्ण विषय पर बात करने जा रहे हैं, जो सीधे हमारे दैनिक जीवन से जुड़ा है – “प्रशासन में निष्पक्षता और पारदर्शिता”.

सोचिए, जब हम किसी सरकारी काम के लिए जाते हैं और सब कुछ सही तरीके से, बिना किसी परेशानी के और पूरी ईमानदारी से हो जाता है, तो हमें कितना सुकून मिलता है न?

मुझे आज भी याद है, मेरे एक दोस्त को अपने ज़मीन के कागज़ात निकलवाने में कितनी मुश्किलों का सामना करना पड़ा था, सिर्फ इसलिए क्योंकि प्रक्रियाओं में पारदर्शिता की कमी थी.

लेकिन अब समय बदल रहा है! आज के डिजिटल युग में, जनता की उम्मीदें सिर्फ अच्छी सेवाओं तक सीमित नहीं हैं, बल्कि वे चाहती हैं कि हर सरकारी प्रक्रिया बिल्कुल शीशे की तरह साफ हो.

भ्रष्टाचार एक ऐसी बड़ी समस्या है जो किसी भी देश की जड़ों को खोखला कर सकती है, और इसका सबसे बड़ा समाधान निष्पक्षता और जवाबदेही में ही छिपा है. मुझे लगता है कि हमारी सरकारें भी इस बात को बखूबी समझ रही हैं और इसी वजह से ई-गवर्नेंस, ऑनलाइन पोर्टल और डिजिटल इंडिया जैसी कई पहल की जा रही हैं.

ये कदम सिर्फ़ काम को आसान नहीं बनाते, बल्कि नागरिकों का भरोसा भी बढ़ाते हैं और पूरे सिस्टम को और भी मज़बूत करते हैं. यह सिर्फ आज का ट्रेंड नहीं, बल्कि हमारे आने वाले भविष्य की एक ज़रूरी बुनियाद है, जहाँ हर नागरिक को अपने हकों और सेवाओं पर पूरा भरोसा हो.

तो क्या आप भी जानना चाहते हैं कि कैसे हम अपने प्रशासन को और भी ज़्यादा निष्पक्ष और पारदर्शी बना सकते हैं और इससे हमें क्या-क्या फायदे मिल सकते हैं? इस विषय पर विस्तार से जानकारी प्राप्त करें!

प्रशासन में भरोसे की मजबूत नींव

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विश्वास का निर्माण और नागरिकों का सशक्तिकरण

हम सभी चाहते हैं कि जब हम सरकारी दफ्तरों में जाएं, तो हमारे काम बिना किसी पक्षपात या परेशानी के पूरे हों. मेरे अनुभव से, जब कोई अधिकारी या कर्मचारी पूरी ईमानदारी और निष्पक्षता से अपना काम करता है, तो जनता का भरोसा अपने आप बढ़ जाता है.

यह सिर्फ़ व्यक्तिगत अनुभव नहीं, बल्कि पूरे समाज के लिए एक सकारात्मक संदेश होता है. सोचिए, जब आपको पता होता है कि आपका आवेदन सिर्फ़ आपकी योग्यता के आधार पर ही आगे बढ़ेगा, न कि किसी जान-पहचान या पैसे के दम पर, तो कितना सुकून मिलता है.

यही विश्वास किसी भी मजबूत प्रशासन की पहली सीढ़ी होती है. जब लोगों को लगता है कि उनकी बात सुनी जा रही है और उनके साथ न्याय हो रहा है, तो वे सरकारी प्रक्रियाओं में अधिक सक्रिय रूप से भाग लेते हैं, और यह लोकतंत्र के लिए बहुत अच्छी बात है.

जवाबदेही: हर कदम पर स्पष्टता

निष्पक्षता का एक और अहम पहलू है जवाबदेही. मुझे याद है, एक बार मुझे अपने बिजली के बिल से संबंधित एक शिकायत करनी थी. पहले इसमें बहुत समय लगता था और पता ही नहीं चलता था कि मेरी शिकायत पर क्या कार्रवाई हो रही है.

लेकिन अब ऑनलाइन पोर्टल्स ने सब कुछ आसान कर दिया है. आप अपनी शिकायत दर्ज करते हैं, आपको एक संदर्भ संख्या मिलती है, और आप हर कदम पर उसकी प्रगति ट्रैक कर सकते हैं.

यह दिखाता है कि अधिकारी अपने काम के लिए कितने जिम्मेदार हैं. अगर कोई गलती होती है, तो उन्हें उसकी जिम्मेदारी लेनी पड़ती है. यह जवाबदेही न सिर्फ़ गलतियों को कम करती है, बल्कि पूरे सिस्टम को भी अधिक कुशल बनाती है.

मेरी राय में, यह पारदर्शिता और जवाबदेही ही है जो हमें एक बेहतर और अधिक प्रगतिशील समाज की ओर ले जाती है, जहाँ हर नागरिक को पता होता है कि उसके पास अपने अधिकारों की रक्षा करने का पूरा अधिकार है.

डिजिटल क्रांति: प्रशासनिक सुधारों का नया अध्याय

ई-गवर्नेंस की बदलती तस्वीर

अगर हम आज के प्रशासन को देखें, तो मुझे लगता है कि सबसे बड़ा बदलाव डिजिटल माध्यमों के आने से हुआ है. मेरे बचपन में, किसी छोटे से काम के लिए भी सरकारी दफ्तरों के कई चक्कर लगाने पड़ते थे, और कई बार तो घंटों लाइन में खड़ा रहना पड़ता था.

लेकिन अब ई-गवर्नेंस के कारण बहुत कुछ हमारी उंगलियों पर आ गया है. चाहे जन्म प्रमाण पत्र बनवाना हो, संपत्ति का रिकॉर्ड देखना हो, या टैक्स भरना हो – सब कुछ ऑनलाइन संभव है.

मैंने खुद महसूस किया है कि इन ऑनलाइन पोर्टल्स की वजह से कितनी सुविधा मिली है. अब हमें किसी बिचौलिए की ज़रूरत नहीं पड़ती और जानकारी भी सीधे हम तक पहुंच जाती है, जिससे प्रक्रिया में पारदर्शिता आती है और भ्रष्टाचार की गुंजाइश कम होती है.

यह एक ऐसा कदम है जिसने सच में आम आदमी के जीवन को आसान बनाया है.

तकनीकी नवाचार और नागरिकों का जुड़ाव

डिजिटल इंडिया जैसी पहलों ने सिर्फ़ प्रक्रियाओं को आसान नहीं बनाया है, बल्कि नागरिकों को प्रशासन से और भी गहराई से जोड़ा है. मोबाइल ऐप्स, ऑनलाइन शिकायत पोर्टल और सोशल मीडिया के माध्यम से अब नागरिक सीधे अपनी बात सरकार तक पहुंचा सकते हैं.

मेरे एक दोस्त ने हाल ही में अपने गाँव में सड़क की खराब हालत को लेकर एक ऑनलाइन शिकायत दर्ज की थी, और कुछ ही हफ्तों में उस पर कार्रवाई भी हुई. यह दिखाता है कि तकनीक ने कैसे हमारी आवाज़ को मजबूत किया है.

यह सिर्फ़ सुविधा की बात नहीं है, बल्कि यह सशक्तिकरण है. जब सरकारें नागरिकों की प्रतिक्रियाओं को सुनती हैं और उन पर कार्रवाई करती हैं, तो इससे उनका भरोसा बढ़ता है और वे महसूस करते हैं कि वे भी इस व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं.

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भ्रष्टाचार से मुक्ति का मार्ग: निष्पक्षता की शक्ति

पारदर्शिता: भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा दुश्मन

मुझे ऐसा लगता है कि भ्रष्टाचार किसी भी समाज के लिए एक धीमा ज़हर है, जो उसकी जड़ों को धीरे-धीरे खोखला कर देता है. लेकिन मैंने देखा है कि पारदर्शिता इस ज़हर का सबसे बड़ा एंटीडोट है.

जब सरकारी कामकाज में सब कुछ खुला और स्पष्ट होता है, तो गलत काम करने वालों के लिए कोई जगह नहीं बचती. सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम एक बेहतरीन उदाहरण है कि कैसे जानकारी तक पहुंच भ्रष्टाचार पर लगाम लगा सकती है.

मेरे पड़ोस में एक मामला था जहाँ एक सरकारी योजना का पैसा सही लाभार्थियों तक नहीं पहुँच रहा था. जब एक जागरूक नागरिक ने RTI के तहत जानकारी मांगी, तो सारी गड़बड़ियां सामने आ गईं और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई हुई.

यह दिखाता है कि जब सब कुछ शीशे की तरह साफ होता है, तो कोई भी अनुचित लाभ नहीं उठा सकता.

जवाबदेही और सख्त नियम

निष्पक्षता को बनाए रखने के लिए सिर्फ़ पारदर्शिता ही काफ़ी नहीं है, बल्कि सख्त नियम और उनकी प्रभावी निगरानी भी ज़रूरी है. अधिकारियों और कर्मचारियों के लिए स्पष्ट आचार संहिता होनी चाहिए और उसका पालन न करने पर सख्त कार्रवाई होनी चाहिए.

जब लोग जानते हैं कि गलत काम करने पर उन्हें जवाबदेह ठहराया जाएगा, तो वे खुद-ब-खुद ईमानदारी से काम करने को प्रेरित होते हैं. मेरा मानना है कि सिस्टम में आंतरिक नियंत्रण और बाहरी ऑडिटिंग बहुत ज़रूरी हैं.

जब एक स्वतंत्र संस्था सरकारी खातों या प्रक्रियाओं की जांच करती है, तो यह सुनिश्चित होता है कि सब कुछ सही तरीके से चल रहा है. यह सिर्फ़ कानूनों की बात नहीं है, बल्कि एक ऐसी संस्कृति बनाने की बात है जहाँ ईमानदारी और निष्ठा को महत्व दिया जाए.

नागरिकों का सशक्तिकरण: जानकारी तक पहुंच का अधिकार

सूचना का अधिकार: एक शक्तिशाली उपकरण

अगर आप मुझसे पूछें कि प्रशासन में सबसे बड़ा गेम चेंजर क्या रहा है, तो मैं कहूंगा ‘सूचना का अधिकार’ (RTI). यह सिर्फ एक कानून नहीं है, बल्कि यह आम आदमी को वो शक्ति देता है जिससे वह सरकार से सीधे सवाल पूछ सकता है और जानकारी मांग सकता है.

मुझे याद है, पहले सरकारी दफ्तरों में जानकारी निकालना कितना मुश्किल होता था, मानो वह कोई गोपनीय खज़ाना हो. लेकिन अब, इस अधिकार के बल पर हम किसी भी सरकारी विभाग से जानकारी मांग सकते हैं कि उनका काम कैसे हो रहा है, कितना पैसा खर्च हो रहा है, या कोई निर्णय क्यों लिया गया.

यह एक ऐसा अधिकार है जिसने सच में नागरिकों को सशक्त किया है और उन्हें अपनी सरकार के प्रति अधिक जागरूक बनाया है. यह सिर्फ़ पारदर्शिता का मार्ग नहीं खोलता, बल्कि अधिकारियों को भी अधिक सावधान और जवाबदेह बनाता है.

खुली जानकारी और जनता की भागीदारी

आजकल कई सरकारी विभाग अपनी महत्वपूर्ण जानकारियों को अपनी वेबसाइट्स पर सार्वजनिक कर रहे हैं. जैसे कि बजट का विवरण, परियोजनाओं की प्रगति रिपोर्ट, या सरकारी योजनाओं के लाभार्थी.

यह ‘खुली जानकारी’ पहल नागरिकों को बिना RTI का सहारा लिए ही जानकारी तक पहुंचने की सुविधा देती है. मैंने देखा है कि जब जनता के पास पूरी जानकारी होती है, तो वे सरकारी नीतियों पर बेहतर ढंग से अपनी राय दे सकते हैं और उसमें सुधार के लिए सुझाव भी दे सकते हैं.

यह एक प्रकार से सहभागिता वाला शासन है, जहाँ सरकार और जनता मिलकर काम करती है. यह न केवल प्रशासन को और अधिक प्रभावी बनाता है, बल्कि नागरिकों में अपने देश के प्रति जुड़ाव और जिम्मेदारी की भावना भी पैदा करता है.

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सरकारी सेवाओं में आसानी: ऑनलाइन पोर्टल और आपकी सुविधा

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एक क्लिक पर सरकारी सेवाएँ

क्या आपको याद है वह समय जब किसी भी सरकारी सेवा के लिए आपको लंबी कतारों में खड़ा रहना पड़ता था? मुझे तो आज भी याद है, मेरे पिताजी को पेंशन के कागजात बनवाने के लिए कई दिन दफ्तरों के चक्कर लगाने पड़े थे.

लेकिन अब जमाना बदल गया है! आजकल लगभग हर सरकारी सेवा ऑनलाइन उपलब्ध है. चाहे आपको पासपोर्ट बनवाना हो, ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदन करना हो, या अपनी संपत्ति का रिकॉर्ड देखना हो, सब कुछ आप घर बैठे अपने कंप्यूटर या मोबाइल से कर सकते हैं.

ये ऑनलाइन पोर्टल न सिर्फ़ हमारा समय बचाते हैं, बल्कि प्रक्रियाओं को भी बहुत सरल और पारदर्शी बनाते हैं. बिचौलियों की भूमिका खत्म होने से भ्रष्टाचार की संभावना भी कम हो जाती है.

डिजिटल माध्यमों से शिकायत निवारण

सिर्फ़ सेवाएं ही नहीं, बल्कि शिकायतों का निवारण भी अब बहुत आसान हो गया है. कई सरकारी विभागों ने अपने ऑनलाइन शिकायत पोर्टल शुरू किए हैं, जहाँ आप अपनी समस्या दर्ज कर सकते हैं और उसकी प्रगति को ट्रैक भी कर सकते हैं.

मैंने खुद एक बार नगरपालिका से संबंधित शिकायत ऑनलाइन दर्ज की थी, और मुझे खुशी हुई कि उस पर समय पर कार्रवाई हुई. यह दिखाता है कि सरकारें अब नागरिकों की समस्याओं को गंभीरता से ले रही हैं और उन्हें जल्द से जल्द हल करने की कोशिश कर रही हैं.

इन डिजिटल माध्यमों से न सिर्फ़ दक्षता बढ़ी है, बल्कि नागरिकों का प्रशासन पर भरोसा भी बढ़ा है, क्योंकि उन्हें लगता है कि उनकी बात सुनी जा रही है और उस पर कार्रवाई भी हो रही है.

प्रशासनिक प्रक्रियाओं में नवाचार: चुनौतियाँ और समाधान

पुरानी चुनौतियों का नया समाधान

यह बात सच है कि प्रशासनिक प्रक्रियाओं को पूरी तरह से निष्पक्ष और पारदर्शी बनाना कोई आसान काम नहीं है. मुझे लगता है कि सबसे बड़ी चुनौती है पुरानी मानसिकता को बदलना और नए तरीकों को अपनाना.

कई बार अधिकारियों को भी नई तकनीक सीखने या नई प्रक्रियाओं को लागू करने में समय लगता है. लेकिन मैंने देखा है कि जहां इच्छाशक्ति होती है, वहां रास्ते भी निकल आते हैं.

सरकारें अब लगातार प्रशिक्षण कार्यक्रम चला रही हैं और आधुनिक तकनीक जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और ब्लॉकचेन का उपयोग करके प्रक्रियाओं को और भी सुरक्षित और कुशल बनाने की कोशिश कर रही हैं.

ये नवाचार न केवल काम को आसान बनाते हैं, बल्कि मानवीय गलतियों और भ्रष्टाचार की संभावना को भी कम करते हैं, जिससे पूरा सिस्टम और अधिक विश्वसनीय बनता है.

जनता की भागीदारी और फीडबैक की भूमिका

किसी भी सुधार को सफल बनाने के लिए सिर्फ़ सरकार का प्रयास ही काफ़ी नहीं है, बल्कि जनता की भागीदारी भी उतनी ही ज़रूरी है. मुझे लगता है कि जब नागरिक अपनी प्रतिक्रिया देते हैं और सुधार के लिए सुझाव देते हैं, तो उससे प्रशासन को अपनी कमियों को समझने और उन्हें दूर करने में मदद मिलती है.

आजकल कई सरकारी पोर्टल्स पर फीडबैक देने का विकल्प होता है, जिसका हमें सक्रिय रूप से इस्तेमाल करना चाहिए. इससे सरकार को पता चलता है कि कौन सी प्रक्रियाएँ ठीक से काम नहीं कर रही हैं और कहाँ सुधार की ज़रूरत है.

यह एक सहयोगात्मक मॉडल है जहाँ सरकार और नागरिक मिलकर एक बेहतर और अधिक पारदर्शी प्रशासन का निर्माण कर सकते हैं.

विषय पारंपरिक व्यवस्था वर्तमान डिजिटल व्यवस्था
जानकारी तक पहुंच दफ्तरों के चक्कर, मुश्किल ऑनलाइन पोर्टल, त्वरित पहुंच
सेवाओं का लाभ लंबी कतारें, बिचौलिए घर बैठे आवेदन, सीधा लाभ
जवाबदेही अस्पष्ट, धीमी प्रक्रिया ऑनलाइन ट्रैकिंग, समयबद्ध कार्रवाई
भ्रष्टाचार उच्च संभावना कम संभावना, पारदर्शिता
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लोकतंत्र की मजबूती: जनता की आवाज और भागीदारी

नीति-निर्माण में जन सहभागिता

मेरा मानना है कि एक मजबूत लोकतंत्र वही है जहाँ जनता की आवाज़ सुनी जाए और उसे महत्व दिया जाए. निष्पक्ष और पारदर्शी प्रशासन सिर्फ़ सेवाएं प्रदान करने तक सीमित नहीं है, बल्कि यह नागरिकों को नीति-निर्माण प्रक्रिया में भी शामिल होने का अवसर देता है.

आजकल कई सरकारी विभाग विभिन्न नीतियों और योजनाओं पर जनता से सुझाव मांगते हैं, चाहे वह ऑनलाइन सर्वे के माध्यम से हो या जनसुनवाई के ज़रिए. मैंने खुद ऐसे कई प्लेटफॉर्म्स पर अपने विचार रखे हैं और यह महसूस किया है कि मेरी राय मायने रखती है.

जब नागरिकों को लगता है कि उनकी आवाज़ सुनी जा रही है, तो उनमें देश के प्रति अधिक जिम्मेदारी की भावना आती है और वे सरकार के फैसलों का अधिक समर्थन करते हैं.

प्रशासनिक निर्णय में पारदर्शिता का महत्व

किसी भी लोकतांत्रिक व्यवस्था में, सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों का पारदर्शी होना बहुत ज़रूरी है. जब सरकार किसी बड़ी परियोजना या नीति पर कोई फैसला लेती है, तो उसके पीछे के तर्क और प्रक्रिया आम जनता के लिए स्पष्ट होनी चाहिए.

इससे न केवल सरकार की विश्वसनीयता बढ़ती है, बल्कि गलतफहमी और अफवाहों को भी रोका जा सकता है. मुझे याद है, एक बार मेरे शहर में एक बड़ी परियोजना को लेकर कुछ लोग संशय में थे, लेकिन जब प्रशासन ने खुली बैठकें कीं और सभी जानकारी सार्वजनिक की, तो जनता का भरोसा बहाल हो गया.

यह दर्शाता है कि पारदर्शिता सिर्फ़ भ्रष्टाचार को रोकने का उपकरण नहीं है, बल्कि यह जनता और सरकार के बीच एक मजबूत सेतु का काम करती है.

글 को समाप्त करते हुए

तो मेरे प्यारे दोस्तों, प्रशासन में निष्पक्षता और पारदर्शिता केवल किताबी बातें नहीं हैं, बल्कि यह हमारे रोजमर्रा के जीवन को बेहतर बनाने की कुंजी है. मुझे पूरा विश्वास है कि डिजिटल युग की इस क्रांति से हम एक ऐसे भारत का निर्माण कर रहे हैं जहाँ हर नागरिक को अपने अधिकारों पर पूरा भरोसा होगा और हर सरकारी प्रक्रिया बिल्कुल साफ-सुथरी होगी. यह सिर्फ़ सरकार की ज़िम्मेदारी नहीं है, बल्कि हम सबकी सामूहिक कोशिशों से ही यह सपना हकीकत बन सकता है. आखिर, एक सशक्त और ईमानदार प्रशासन ही एक मज़बूत और प्रगतिशील समाज की नींव रखता है.

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जानने योग्य उपयोगी जानकारी

1. ऑनलाइन पोर्टल का उपयोग करें: अपनी ज़्यादातर सरकारी सेवाओं के लिए अब ऑनलाइन पोर्टल उपलब्ध हैं. चाहे आवेदन करना हो या जानकारी लेनी हो, हमेशा आधिकारिक सरकारी वेबसाइट का उपयोग करें ताकि समय बचे और पारदर्शिता बनी रहे.

2. सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम: यदि आपको किसी सरकारी विभाग से जानकारी चाहिए और वह सार्वजनिक रूप से उपलब्ध नहीं है, तो RTI का उपयोग करके आप उसे प्राप्त कर सकते हैं. यह नागरिकों के सशक्तिकरण का एक महत्वपूर्ण उपकरण है.

3. प्रतिक्रिया दें: सरकार अक्सर नीतियों और सेवाओं पर नागरिकों से प्रतिक्रिया मांगती है. अपनी आवाज़ उठाएं और अपने सुझाव दें, क्योंकि आपकी राय मायने रखती है और इससे सुधार लाने में मदद मिलती है.

4. योजनाओं से अवगत रहें: विभिन्न सरकारी योजनाएं और लाभ अक्सर बदलते रहते हैं. हमेशा नवीनतम अपडेट के लिए आधिकारिक स्रोतों और विश्वसनीय समाचार चैनलों से जुड़े रहें, ताकि आप कोई महत्वपूर्ण अवसर न चूकें.

5. डिजिटल साक्षरता बढ़ाएं: ऑनलाइन सेवाओं का अधिकतम लाभ उठाने के लिए डिजिटल रूप से साक्षर होना आवश्यक है. अपनी और अपने परिवार की डिजिटल साक्षरता बढ़ाएं ताकि आप आधुनिक प्रशासन के साथ कदम से कदम मिलाकर चल सकें.

महत्वपूर्ण बातों का सार

प्रशासन में निष्पक्षता और पारदर्शिता एक मजबूत, भरोसेमंद और कुशल शासन व्यवस्था की बुनियाद हैं. डिजिटल क्रांति और ई-गवर्नेंस की पहल ने इन सिद्धांतों को वास्तविकता में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, जिससे नागरिकों का सशक्तिकरण हुआ है और भ्रष्टाचार पर लगाम लगी है. हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह एक सतत प्रक्रिया है, जिसमें सरकार और जनता दोनों की सक्रिय भागीदारी आवश्यक है. एक जागरूक और सक्रिय नागरिक के रूप में, हम सभी को इस यात्रा में अपना योगदान देना चाहिए ताकि हम एक ऐसे समाज का निर्माण कर सकें जहाँ हर किसी को न्याय और समान अवसर मिले.

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQ) 📖

प्र: प्रशासन में निष्पक्षता और पारदर्शिता का आखिर क्या मतलब है, और ये हमारे लिए क्यों जरूरी हैं?

उ: देखिए, प्रशासन में निष्पक्षता का मतलब है कि जब कोई भी सरकारी अधिकारी या विभाग कोई फैसला ले, तो वो बिल्कुल निष्पक्ष होकर ले. यानी, किसी भी व्यक्ति या समूह के प्रति कोई पूर्वाग्रह या पक्षपात न हो.
मुझे याद है, एक बार मेरे दादाजी को पेंशन के लिए कितनी बार सरकारी दफ्तरों के चक्कर काटने पड़े थे, सिर्फ इसलिए क्योंकि ‘सही जानकारी’ नहीं मिल पा रही थी.
अगर प्रशासन निष्पक्ष होता, तो ऐसा नहीं होता. निष्पक्षता यह सुनिश्चित करती है कि निर्णय योग्यता और वस्तुनिष्ठ मानदंडों पर आधारित हों, न कि व्यक्तिगत संबंधों या किसी और बात पर.
वहीं, पारदर्शिता का अर्थ है कि सरकार के कामकाज, नियम, प्रक्रियाएं और फैसले आम जनता के लिए खुले हों, ताकि हर कोई जान सके कि क्या हो रहा है और कैसे हो रहा है.
यह ठीक वैसे ही है जैसे घर में रसोई साफ-सुथरी हो तो घर वालों का भरोसा बना रहता है. सरकार पर जनता का भरोसा बनाए रखने के लिए यह बहुत ज़रूरी है. जब प्रशासन पारदर्शी होता है, तो हमें पता होता है कि हमारे टैक्स का पैसा कहाँ जा रहा है, और सेवाओं का लाभ किसे मिल रहा है.
यह भ्रष्टाचार को रोकने और सुशासन को बढ़ावा देने की पहली सीढ़ी है.

प्र: सरकारें प्रशासन में पारदर्शिता और निष्पक्षता लाने के लिए क्या-क्या कदम उठा रही हैं, खासकर डिजिटल युग में?

उ: आजकल हमारी सरकारें इस दिशा में बहुत तेज़ी से काम कर रही हैं, और इसमें डिजिटल तकनीक सबसे बड़ा हथियार बनकर उभरी है. जैसे, ‘ई-गवर्नेंस’ और ‘डिजिटल इंडिया’ जैसी पहलें प्रशासन को और भी ज़्यादा पारदर्शी और जवाबदेह बना रही हैं.
मुझे याद है, पहले छोटे-छोटे काम के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ता था, पर अब कई सेवाएं ऑनलाइन उपलब्ध हैं. आधार, UMANG ऐप, डिजीलॉकर जैसी सेवाओं ने कागज़ात जमा करने की ज़रूरत ही खत्म कर दी है.
सोचिए, पहले ज़मीन के कागज़ात निकलवाने में कितनी परेशानी होती थी, पर अब कई जगह ये ऑनलाइन उपलब्ध हैं, जिससे हेरफेर की गुंजाइश कम हो गई है. सूचना का अधिकार (RTI) अधिनियम ने भी नागरिकों को सरकार से जानकारी मांगने का अधिकार देकर पारदर्शिता को बहुत बढ़ावा दिया है.
मोदी सरकार ने तो RTI को और भी मजबूत किया है, अब इसका डिस्पोजल रेट 90% से ऊपर पहुंच गया है, जिससे लोगों को समय पर जवाब मिल रहे हैं. ई-ऑफिस, ऑनलाइन ट्रैकिंग और डिजिटल रिकॉर्ड्स ने सरकारी प्रक्रियाओं को तेज़ और सुविधाजनक बना दिया है.
ये सब मिलकर न सिर्फ कामों को आसान बनाते हैं, बल्कि भ्रष्टाचार को भी कम करते हैं और जनता का विश्वास बढ़ाते हैं.

प्र: पारदर्शिता और निष्पक्षता बढ़ने से हमें आम नागरिकों को क्या सीधा फायदा मिलता है, और हम इसमें कैसे योगदान दे सकते हैं?

उ: जब प्रशासन पारदर्शी और निष्पक्ष होता है, तो हम जैसे आम नागरिकों को सीधे तौर पर कई फायदे मिलते हैं, जो हमारी ज़िंदगी को सच में आसान बनाते हैं. सबसे पहले, भ्रष्टाचार कम होता है.
मेरे एक अंकल को अपनी गाड़ी के रजिस्ट्रेशन के लिए एक बिचौलिए को पैसे देने पड़े थे, पर अगर सब कुछ ऑनलाइन और पारदर्शी होता, तो ये नौबत ही नहीं आती. अब ऑनलाइन प्रक्रियाओं से बिचौलियों की ज़रूरत खत्म हो रही है.
दूसरा, सरकारी सेवाएं हमें बिना किसी परेशानी के और समय पर मिलती हैं. सोचिए, अगर आपको किसी योजना का लाभ लेना है और उसकी सारी जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध है, तो कितना आसान हो जाता है, है ना?
तीसरा, सरकार पर हमारा भरोसा बढ़ता है. जब हम देखते हैं कि सब कुछ सही तरीके से हो रहा है, तो हमें अपने सिस्टम पर विश्वास होता है. चौथा, हमारी भागीदारी बढ़ती है.
डिजिटल प्लेटफॉर्म हमें अपनी राय देने और सरकारी फैसलों में शामिल होने का मौका देते हैं. हम इसमें योगदान भी दे सकते हैं. जैसे, जब भी हमें कोई गलत काम होता दिखे, तो शिकायत ज़रूर करें.
सूचना का अधिकार का इस्तेमाल करें. साथ ही, सरकार द्वारा चलाई जा रही डिजिटल सेवाओं का उपयोग करें और उनके बारे में दूसरों को भी बताएं. सोशल ऑडिट जैसी पहलें भी हमें स्थानीय स्तर पर विकास कार्यों की निगरानी करने का अवसर देती हैं.
याद रखिए, हमारा छोटा सा योगदान भी बड़े बदलाव की शुरुआत कर सकता है!

📚 संदर्भ

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